Wednesday, 16 January 2013


                
                भारत पाक का झगड़ा कोई नया नहीं है। पिछले 
64 सालों मे कई बार ऐसे मौके आए जब भारत और पाक ने
एक दूसरे को अपनी अपनी ताकतों से रूबरू करवाया और हर 
बार पाक को मुंह की खानी पड़ी। लेकिन इस बार हालत पाक के
बेहद खिलाफ है। अंदरूनी स्थिति के साथ साथ सीमा पर भी
पाकिस्तान की हालत नाजुक बनी हुयी है। कश्मीर सीमा पर
लगातार सीजफायर का उल्लंघन कर न जाने पाक सेना क्या 
दिखाना चाहती है। और उस पर पाक के अंदरूनी हालत और भी
खस्ता है। एक ओर शिया समुदाय नेता कादरी ने जनविद्रोह 
छेड़ दिया है तो दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने पाक प्रधानमंत्री राजा 
परवेज़ अशरफ को गिरफ्तार करने के आदेश दे दिये है। कुल 
मिलाकर पाक की हालत इन दिनो धोबी के उस कुत्ते जैसी है 
जो न घर है न घाट का। और उस पर हैरानी तब होती है जब 
पाक विदेश मंत्री हीना रब्बानी खार ये कहती है कि भारत युद्ध 
पर आमादा है और जंग चाहता है।
                              
                                            हैरानी होती है ये देखकर कि भारत जैसा देश जिसने अमन और
शांति की एक मिसाल कायम कर दी है और जो हमेशा हर मुद्दे
को बातचीत से हल करने पर ज़ोर देता है, ऐसे देश पर हीना
युद्ध भड़काने का आरोप कैसे लगा सकती है। उनकी बातों को
सुनकर साफ लगता है की वो जमीनी हकीकत से कोसो दूर है
और वही कह रही है जो पाक सेना उनसे कहलवा रही है। पाक
प्रधानमंत्री की गिरफ्तारी के आदेश के बाद मानो हर कोई पाक
की सत्ता पर नज़र गड़ाए बैठा है। इसमे एक ओर पाकिस्तान
की सेना है तो दूसरी ओर शिया नेता अब्दुल कदारी है। ये भी
हो सकता है की कदारी को पर्दे के पीचे से सेना का समर्थन भी
हासिल हो और उसी के दम पर वो विरोध मे इतना आगे बढ़
आए हो।    
     लेकिन इस पूरे मसले पर भारत की नज़र बनी हुयी है और बनी भी रहनी चाहिए। क्योंकि भारत के लिए पाक से जुड़ा कोई भी मुद्दा निजी नहीं होता। फ्लेग मीटिंग नाकाम रही तो क्या,आगे और भी कई विकल्प है इस झगड़े को सुलझाने के... 


फिर चाहे वो जंग का ऐलान ही क्यों न हो.....

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