Thursday 2 May 2013




जाहिर है सज्जन सिंह का बरी होना चौरासी के पीड़ितों को उनके जख्मो पर नमक छिड़कने जैसा एहसास देगा। ऐसा माना जाता है कि भारतीय कानून प्रणाली बहुत धीमी है मगर साथ ही बहुत कारगर भी है। सज्जन सिंह का बरी होना इस धारणा पर भी एक प्रहार है। 
 

सन 1984 मे सिखों पर हुये अत्याचार मे न्याय की उम्मीद, जो इतने बरसों से की जा रही थी, उसे न्यायालय के निर्णय ने और लंबा जरूर कर दिया है। हालांकि न्यायिक प्रक्रिया पर टिप्पणी करना सही नहीं है मगर यहाँ बीजेपी नेता सुषमाँ स्वराज के कथन को भी नकारा नहीं जा सकता जिसमे उन्होने कहा है कि चौरासी की जांच के लिए बनी सारी समितियां सरकार के नियंत्रण मे बनाई गयी तो ऐसे मे इस तरह का निर्णय आना तो स्वाभाविक है। 

दरअसल 1984 के सिक्ख दंगो मे कांग्रेस की भूमिका पर सवाल उठते आए है मगर न्यायालय के इस निर्णय ने विपक्षी दल खासकर बीजेपी को सरकार पर हमला बोलने का एक और मौका तो दे ही दिया है।

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