नाराजगी तो जाहिर है...बुआ की भी...भतीजे की भी...पर नाराजगी से ज्यादा हैरानी है...हैरानी इस बात की...कि जहां उम्मीद नहीं थी...वहां भी केसरिया छाप पड़ गई...और जहां डाउट था...वहां तो छाप पड़ी ही...अब क्या करें...जिस दिन 100 करोड़ की माया पकड़ी गई थी...उसी दिन माया से माया का भरोसा उठना लाजमी था...
लेकिन माया का मायाजाल इतना कमजोर हो जाएगा कि केसरिया रंग में रंगते हुए पूरे यूपी में बुरके में छिपी सलमा का मन ही बदल देगा...ये तो नहीं सोचा था...बलमा ने कितना कहा कि सलमा...बुआ जी ही अपनी जग जननी है...लेकिन सलमा एक ना मानी...अब बुआ हो या बबुआ...हेकड़ी भी गई...और इज्जत भी...और हो भी क्यों ना...भई हाथी पर सवार होकर जो बुआ जी...सलमा और सलमान के भरोसे पूरे यूपी में हाथियों के शोरूम खोलने के सपने देख रही हो...उसी बुआ जी को बलमा की सलमा धोखा दे जाए तो गुस्सा तो आएगा ना...औऱ वो गुस्सा रिजल्ट के ठीक बाद नजर भी आ गया...जब कैमरों की चकाचौंध में बुआजी ने पूरे चुनावी तंत्र पर ही सवाल उठा दिये...हैरानी उनको थी, ये जाहिर है...अरे भई आखिर सलमा के इलाकों में गुजरात के गधे दुलत्ती मारने लगे थे...लेकिन जनाधार मिला...और गधे की दुलत्ती ऐसी लगी कि राज्यसभा भी गई...पार्टी भी गई...हाथी भी गया...और सलमा भी गई...
अब इंतजार 'गायत्री' का है...
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