Saturday, 6 October 2012


                कहते है युवा पीढ़ी देश का भविष्य होती है मगर मौजूदा पीढ़ी मे दिन प्रतिदिन बढ़ता तनाव और निर्णय लेने की क्षमता मे कमी, चिंता का विषय बनता जा रहा है। इसी चिंता को शिमला के एक निजी स्कूल मे हुई घटना ने और भी गहरा दिया है। चेल्सी गर्ल्स स्कूल की 6ट्ठी कक्षा की दो छात्राओ ने टीचर की डांट से नाराज होकर, स्कूल के नजदीक ही पहाड़ी से कूदकर जान दे दी। हालांकि पुख्ता तौर पर अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है लेकिन यदि इस खबर मे सच्चाई है तो इससे युवाओं की कमजोर मानसिकता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस मामले मे दोनों मृतकों, साक्षी और नैन्सी के परिजन स्कूल प्रशासन और टीचर को मौत का जिम्मेदार मान रहे है। बीते दिनो परिजनो ने स्कूल मे भारी हँगामा और तोडफोड भी की। लेकिन एक अध्यापक, जो एक छोटे बच्चे को जिम्मेदार नागरिक बनाता है, उसके कुछ शब्द इतने भी कठोर कैसे हो सकते है कि जीने की इच्छा ही खत्म कर दे। साथ ही, विरोध करने के लिए हमेशा तोडफोड का ही रास्ता जरूरी क्यो हो जाता है।
खैर, चेल्सी स्कूल मे इन दिनो भारी पूलिस बल तैनात है और स्कूल का माहौल पढ़ाई के लिए फिलहाल कतई सही नहीं है। स्कूल की छात्राओ और शहर के अन्य युवाओं ने दोनों मृतकों की याद मे शहर मे एक केंडल मार्च भी निकाला जो सही मायनों मे दोनों मृतकों को दी गयी श्रद्धांजली है, कम से कम तोडफोड और हंगामे से तो ये बेहतर ही है। मगर युवाओं की मानसिकता पर सवाल उठाने से पहले इस मामले की वास्तविकता जानना बेहद जरूरी है जो अब तक सामने नहीं आई है। कुछ लोगों का कहना है कि दोनों लड़कियां गलती से पहाड़ी से गिर गयी जबकि कुछ इसे आत्महत्या की नज़र से देख रहे है। मगर 12-13 साल की मासूम बच्चियों ने आत्महत्या के बारे मे सोचा, ये बात थोड़ी अटपटी लगती है। आखिर इतनी कम उम्र मे कोई इतना बड़ा कदम कैसे उठा सकता है।
Chelsea Girls School, Shimla
खैर, वास्तविकता जो भी हो पर नुक्सान उन माँ-बाप का हुआ है जिन्होने अपनी नन्ही बच्चियो को खो दिया, नुकसान उन स्कूली छात्राओ का हो रहा है जिन्हे स्कूल के मौजूदा खराब माहौल मे पढ़ना पड़ रहा है, नुकसान उस स्कूल प्रशासन का हुआ है जिसने अपनी पूरी साख खो दी है। साथ ही, शिमला शहर की इंसानियत भी इस मामले मे सवालों के घेरे मे है क्योकि माना जा रहा है कि कूदने के बाद भी करीब 45 मिनट तक दोनों लड़कियों की साँसे चल रही थी मगर किसी ने पूलिस को खबर करने या एंबुलेंस मंगाने की जहमत नहीं उठाई। कुल मिलाकर इस मामले मे सभी पीड़ित है, मृतको के परिजन, स्कूल प्रशासन, स्कूली छात्राए, और यहाँ तक की पुलिस भी, मगर दोषी कौन है ये कहना फिलहाल जरा मुश्किल है। खैर इससे सबसे बड़ा नुकसान इंसानियत का हुआ है जिसने इस घटना के बहाने खुद को अपनी ही नज़रों मे गिरा लिया है।
   

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