कहते है युवा पीढ़ी देश का भविष्य होती है मगर
मौजूदा पीढ़ी मे दिन प्रतिदिन बढ़ता तनाव और निर्णय लेने की क्षमता मे कमी, चिंता का विषय बनता जा रहा है। इसी चिंता को शिमला के एक निजी स्कूल मे हुई
घटना ने और भी गहरा दिया है। चेल्सी गर्ल्स स्कूल की 6ट्ठी कक्षा की
दो छात्राओ ने टीचर की डांट से नाराज होकर, स्कूल के नजदीक
ही पहाड़ी से कूदकर जान दे दी। हालांकि पुख्ता तौर पर अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है
लेकिन यदि इस खबर मे सच्चाई है तो इससे युवाओं की कमजोर मानसिकता का अंदाजा लगाया
जा सकता है। इस मामले मे दोनों मृतकों, साक्षी और
नैन्सी के परिजन स्कूल प्रशासन और टीचर को मौत का जिम्मेदार मान रहे है।
बीते दिनो परिजनो ने स्कूल मे भारी हँगामा और तोडफोड भी की। लेकिन एक अध्यापक, जो एक छोटे बच्चे को जिम्मेदार नागरिक बनाता है,
उसके कुछ शब्द इतने भी कठोर कैसे हो सकते है कि जीने की इच्छा ही खत्म कर दे। साथ
ही, विरोध करने के लिए हमेशा तोडफोड का ही रास्ता जरूरी क्यो
हो जाता है।
खैर,
चेल्सी स्कूल मे इन दिनो भारी पूलिस बल तैनात है और
स्कूल का माहौल पढ़ाई के लिए फिलहाल कतई सही नहीं है। स्कूल की छात्राओ और शहर के
अन्य युवाओं ने दोनों मृतकों की याद मे शहर मे एक “केंडल मार्च” भी निकाला जो सही मायनों मे दोनों
मृतकों को दी गयी श्रद्धांजली है, कम से कम तोडफोड और हंगामे
से तो ये बेहतर ही है। मगर युवाओं की मानसिकता पर सवाल उठाने से पहले इस मामले की वास्तविकता
जानना बेहद जरूरी है जो अब तक सामने नहीं आई है। कुछ लोगों का कहना है कि दोनों
लड़कियां गलती से पहाड़ी से गिर गयी जबकि कुछ इसे आत्महत्या की नज़र से देख रहे है।
मगर 12-13 साल की मासूम बच्चियों ने आत्महत्या के बारे मे सोचा, ये बात थोड़ी अटपटी लगती है। आखिर इतनी कम उम्र मे कोई इतना बड़ा कदम कैसे
उठा सकता है।
Chelsea Girls School, Shimla |
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