चेहरा इन्सान की शख्सियत का अंदाजा
लगाने के लिए एक कारगर जरिया है. लेकिन इसके चेहरा पढ़ने की कला आना जरुरी है जो
सबके पास नहीं होती. कम से कम मेरे पास तो नहीं है.रोज घर से निकलते ही सैंकड़ों
चेहरे दिखाई पड़ते है, कुछ जाने पहचाने से तो कुछ अन्जाने से. लेकिन हर चेहरे की
अपनी एक हकीकत होती है जिसे समझ पाना आसान नहीं होता.
शेक्सपीयर
ने कहा था “ नाम
में क्या रखा है.”
शायद वो चेहरे से व्यक्ति के व्यक्तित्व का अंदाजा लगाना सीख गए थे. लेकिन मैं जरा
इसमें अभी थोड़ा कच्चा हूँ. शायद इसीलिए, यूनिवर्सिटी की उस पहली क्लास में, मैं
भी उन्ही अंजान चेहरों में से एक था जो एक दूसरे को जिज्ञासा भरी नजरों से देख रहे
थे. हर एक के चेहरे पर सैंकड़ों सवाल, एक दूसरे से बात करने का बहाने ढूँढते हुए, जान पहचान का दौर
शुरु हुआ तो धीरे धीरे एहसास हुआ कि चेहरे से व्यक्ति के व्यक्तित्व का अंदाजा
लगाने वाला मेरा तर्क कतई सही नहीं है. या फिर शायद मुझमे ये कला है ही नहीं
क्योंकि मेरा जीवन अमुभव अभी इतना ज्यादा और प्रभावशाली नहीं है.
कहते
हैं हर चेहरा कुछ कहता है पर जो भी कहता है उसे सुनने की काबिलियत सब में नहीं
होती. तो फिर ये काबिलियत आखिर कैसे हासिल की जा सकती है. जवाब जरा मुश्किल है. अब
तो मुझे लगने लगा है कि किसी भी शख्स को जानने से पहले, चेहरे के आधार पर उसके
बारे में कोई राय बनाना बिलकुल गलत है. तो फिर चेहरे की जुबान को मैं कैसे सुन और
समझ सकता हूँ. ये सवाल मुझे हर दिन परेशान करता है, जब मैं घर से निकलता हूँ और
देखता हूँ...
The Different Faces Around
Me....
I loved it... i told you so in class too :-) Good writing! I wish i could write in Hindi too!
ReplyDeleteu can......u jst need to choose the hindi lnguage while installing the window...
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ReplyDeletewell written bro.
ReplyDeletethnx bdy...
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