गरीबी भारत की काफी बड़ी समस्य़ा है।
जनसंख्या यहाँ जितनी ज्यादा बढ़ रही है, गरीबी भी यहाँ उतने ही पैर पसार रही है।
लेकिन ऐसा नहीं है कि गरीबी मिटाने के लिए कुछ किया नहीं किया। बीपीएल जैसी सीमा
तय करने के बाद कई तरह की योजनायें गरीबों के लिये चलाई गईं। मगर हाल ही में योजना
आयोग के आंकड़ों ने गरीबी को एक और परिभाषा दे दी। आयोग के अनुसार दिन में 32
रुपये कमाने वाला व्यक्ति अपना गुजारा कर सकता है यानि वो गरीब नहीं है। लेकिन
हकीकत ये है कि सस्ते से सस्ते होटल मे भी दो वक्त के खाने के लिये जेब मे कम से
कम 100 रुपये तो चाहिये ही। खैर, 32 रुपये वाले इस गरीब के लिए सरकार ने कई तरह की
योजनाएँ चला रखी है। लगभग 15 तरह की योजनाय़ें जिनमें इंदिरा आवास योजना, रोजगार
योजना, सस्ता अनाज संबंधी योजना इत्यादि शामिल है, गरीबों के लिये उपलब्ध है।
योजनायें तो बहुत है मगर गरीबी है कि जाने का नाम ही नहीं ले रही। मुश्किल ये है
कि हर योजना या तो भ्रष्टाचार का शिकार हो जाती है या फिर लापरवाही का। मगर कमियों
की आड़ में ये कहना भी गलत होगा कि गरीबों के लिये कोई कुछ कर नहीं रहा। आखिर ये
सभी योजनायें गरीबों के लिये ही तो और गरीब मतलब, 32 रुपये प्रतिदिन।
लेकिन, इन दिनों सरकार एक ऐसी योजना की
तैयारी में है जिससे गरीबी मिटे न मिटे, पर देश में मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या
जरुर बढ़ जायेगी। इस योजना के तहत सरकार गरीबों को मुफ्त मोबाइल फोन देगी, वो भी
200 रुपये टाँकटाइम के साथ। अब ये योजना गरीबी मिटाने के लिये है या फिर नये
घोटालों को न्यौता देने के लिये, इस बारे में तो कुछ कहा नहीं जा सकता। मगर हमारे
माननीय नेताओं को ये बात समझनी चाहिये कि 32 रुपये प्रतिदिन कमाई वाले व्यक्ति के
लिए मोबाइल को इस्तेमाल करने लायक बनाए रखना काफी मुश्किल है। और फिर जिन इलाकों
में कभी बिजली नहीं पहुँची, वहाँ मोबाइल पहुँचा कर गरीबी कम नहीं होने वाली।
भुखमरी से बदहाल गरीब मोबाइल देखकर थोड़ी देर के लिए खुश तो हो सकता है मगर अपना
पेट नहीं भर सकता।
खैर, ये सरकारी पेंच है, इन्हें समझना जरा
मुश्किल है। मगर दो वक्त की रोटी के जुगाड़ में लगे गरीब, जिनके तन पर कपड़ा नहीं,
सर पर छत नहीं, पेट मे रोटी नहीं, ऐसे लोगों को सरकार मोबाइल के बजाए अगर थोड़ा
अनाज दे दे, वो अनाज जो या तो बारिश मे भीग रहा है या गोदामों मे सड़ रहा है, तो
गरीब कम से कम जिंदा तो रहेगा और मोबाइल इस्तेमाल करने के लिए जिंदा रहना तो जरुरी
है.......
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