Sunday 19 March 2017





जबरदस्त खेल है बॉस...इसे कहते हैं टेर...टेर शब्द मैने अक्सर बेवड़ों के संदर्भ में सुना था...लेकिन जब से जाट मोशन में आए हैं ना...तब से टेर शब्द के प्रति मेरी सहानुभूति और ज्यादा बढ़ गई है...मतलब कुछ भी कर लो...हम न मानेंगे...जो खबर के नाम पर यूपी के योगी और दिल्ली कॉलेज के क्रांतिकारियों को ही फॉलो करते रहते हैं उन्हें बता दें कि एक प्रदेश है हरियाणा...जहां पिछले 50 दिनों से जाट नाम की एक प्रजाति...उफान पर है...अजी उफान क्या...यूं कहिये की टेरपन की चरमसीमा है...जाट सुनकर अगर आपको कुछ पिछले साल का याद आया तो आप सही हैं...ये वही प्रजाति है जो पिछले साल भी सुर्खियों में आई थी...हुआ कुछ खास नहीं था...बस पूरे हरियाणा में जगह जगह आगजनी हुई थी...लूटपाट हुई थी..हत्याएं हुई थी...और थोड़ी मारकाट...और ये सबकुछ हुआ था आरक्षण के लिए...अजी वही ससुरा रिजरवेशन...जाट कहते रहे रिजरवेशन दो, रिजरवेशन दो...उधर खट्टर कहते रहे, ना भइया, हमसे न होगा...फिर क्या...अचानक हरियाणा में महाभारत काल लौट आया...लेकिन पूरे महाभारत में से सिर्फ कुरूक्षेत्र का ही चैप्टर खुला...और हर जगह युद्द छिड़ गया...पूरा हरियाणा आग में था यार...उसी वक्त पुलिस ने करीब डेढ़ हजार जाटों को गिरफ्तार किया था...अब इन्ही गिरफ्तार किये गए जाटों को छुड़ाने के लिए जाट फिर से धरने पर हैं...कह रहे हैं कि भई ये हमारे सैनिक है इनको छोड़ो...क्यों ? अरे क्योंकि रणभूमि फिर से सजी है ना...50 दिनों से धरने पर हैं, कोई मजाक थो़ड़ी है...हां ये अलग बात है कि सीएम ने इनकी सब मांगें मान ली है लेकिन तो क्या हुआ...एक झटके में मांगें मान लेंगे तो मामला ठंडा कर लें क्या...ऐसे कैसे..कुछ तो तूफानी होना चाहिए ना...बस...इसी तूफानी के चक्कर में हरियाणा के सभी जाट काम धंधा छोड़ कर अब दिल्ली जाने की तैयारी कर रहे हैं...अजी वही दिल्ली...जहां एक किसान मर जाए तो इंटरनेशनल ब्रेकिंग बन जाती है...मगर पूरे देश में कितने किसान मरते हैं...ये जानने का किसी के पास वक्त नहीं है...खैर...अभी के लिए इतने ही विचार काफी है...इंडिया-ऑस्ट्रेलिया मैच चल रहा है ना...जरा स्कोर देख लेते हैं...

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