Sunday 26 March 2017



रोमियो का किरदार सुना तो बहुत था...लेकिन जीया बिल्कुल नहीं था...हालांकि जीने की इच्छा जरूर थी...पर कभी मौका नहीं मिला...या यूं कहें कि कभी हिम्मत नहीं हुई...हिम्मत करने की भी सोची थी...पर तभी 'योगी' का 'रोमियो योग' मेरे इरादों पर पानी फेर गया...अब तक रोमियो को मैं एक समर्पित प्रेमी की तरह देखता था...समर्पित प्रेमी यानि ऐसा प्रेमी जो अपनी प्रेमिका जूलियट के प्रति पूरी तरह समर्पित था...इतना समर्पित कि उसके चक्कर में रोमियो ने अपनी जान तक दे दी...गुगल देवता की वीकीपीडिया ब्रांच ने बताया कि रोमियो-जूलियट शेख्सपीयर का लिखा एक नाटक था जिसमें जूलियट अपने प्रेमी के सामने मरने का नाटक करती है...लेकिन प्रेमी रोमियो उसे सच में मरा समझकर खुद भी जिंदगी को बाय बाय बोल देता है...ये देखकर जूलियट भी इमोशनल हो जाती है और खुद भी जान दे देती है...

अब इस कहानी में आपको कुछ ऐसा लगा जिससे रोमियो को जूलियट के लिए 'एंटी' माना जाए ? मतलब छेड़छाड़, ईव-टीसिंग या सीटी-वीटी मारना या कुछ और ? बल्कि रोमियो का प्यार तो सच्चा ही लग रहा है...लेकिन इस जूलिटय के लिए रोमियो का समर्पण आजकल बदनाम हो रहा है...लड़की छेड़ने को अपनी फुलटाइम जॉब समझने वाले कथित डोनल्ड ट्रंप के कन्फर्म्ड चेले सड़कों पर अपनी जॉब को अंजाम दे रहे होते हैं...औऱ तभी खाकी में तैनात कुछ अल्ट्रावायलट सिग्नल अचानक पहुंचते हैं, खुद को एंटी रोमियो ब्रिगेड बताते हैं और हमारे मजनू को सूत देते हैं...अब मजनू का इतिहास औऱ उसकी कहानी अभी मत पूछना...वो फिर कभी...वैसे ये काम बहुत जानदार और शानदार है...लेकिन बदनाम बेचारा रोमियो हो गया...अब आज अगर रोमियो ये सब देख रहा होगा तो बेचारी जूलियट क्या सोचेगी...कि मेरे आशिक को आधे यूपी का छिछोरा बना डाला...और इस सब के बीच रोमियो क्या सोच रहा होगा...शायद ये कि सारे निखट्टुओं की सुताई का केंद्र मैं हूं ! अगर ऐसा है...तो रोमियो को यूपी सरकार से रॉयल्टी मांगने में देर नहीं लगानी चाहिए....

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