...आरक्षण वाले कहते हैं कि अंबेडकर जी ने संविधान में उनके आरक्षण का इंतजाम किया है...लेकिन उसी संविधान में सबकी बराबरी का भी तो इंतजाम है ये किसी को नजर नहीं आता...किसी को लगता है कि वो पिछड़ा हुआ है तो नजर आता है रास्ता आरक्षण का...और किसी को लगता है कि उसे आरक्षण नहीं मिल रहा तो नजर आता है रास्ता मार-काट का, आगजनी का, हिंसा का और तोड़-फोड़ का...और ये क्या...ये तरीका कभी कभी कामयाब भी रहता है...कम से कम हरियाणा में तो यही लगता है...
वैसे हरियाणा की घटना से पटेल की घटना भी याद आती है...याद है न...हार्दिक पटेल...उस वक्त भी कुछ ऐसा ही हुआ था....लेकिन शुक्र है कि उस दौरान कुछ ऐसा नहीं हुआ जो हरियाणा में हुआ...मैं प्रदर्शन के खिलाफ नहीं हूं....विरोध के खिलाफ नहीं हूं...सरकार के फैसले के खिलाफ भी नहीं हूं...
मैं तो डर रहा हूं कि कल को जात और तबके के नाम पर हर कोई अगर आरक्षण के लिए बसें फूंकने लगा, पुलिस चौकियों को जलाने लगा, रेलवे स्टेशनों को आग लगाने लगा...एक दूसरे पर गोलियां जलाने लगा...तो फिर....शायद आप बेहतर सोच सकते हैं !!!!!!
सब बात मैं राजनीती हैं भाई साहब। सबको दिखता हैं समजता कोई नाही। लोग अपणोकोहि तखलीप देते हैं। और खुश होते हैं।
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