Thursday 16 August 2012


सुबह सुबह आँखें मलते अखबार के पहले पन्ने पर जरा नजर दौड़ाई तो पाया की आजादी की बधाई देने वालों की होड़ लगी है. ये देख मेरे चेहरे पर जरा मुस्कान सी आ गई और दिमाग में लाल किले की तस्वीर उभर आई. सोचा, भारत आज 65 का हो गया, फिर लाल किले पर तिरंगा लहराया जाएगा, एक ओर से सलामी दी जाएगी और एक ओर से सलामी ली जाएगी, पूरा देश जश्न में डूब जाएगा. इस सब के बीच देश के बीते कल का भी खयाल आया. 65 सालों में क्या खोया, क्या पाया, एक युद्ध सा शुरु हो गया जहन में.
    कमियाँ तो बहुत नजर आई, फिर सोचा, अपने कमरे में आराम से बैठकर चाय की चुस्कियों के साथ अखबार पढ़ रहा हू, देश विदेश का हाल जान रहा हूँ, इससे अच्छा और क्या हो सकता है. तभी आजादी की बधाई देने के लिए मोबाइल भी बज उठा. देखा तो बधाईयों से भरे SMS की बौछार सी आ गई. सोचा, देश के बारे में सोचने के लिए तो जिंदगी पड़ी है, फिलहाल तो सब को एक और मौका मिल गया, खुश होने का, इस दौड़ती-भागती परेशान जिंदगी में......

आखिर आजादी से बढ़कर खुशी और क्या हो सकती है......

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